Pitra Amavasya 2024 Date Time and Pooja Vidhi
Pitra Amavasya 2024: आश्विन मास की अमावस्या तिथि को महालया अमावस्या, आश्विन अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
इस दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन पितर वापस अपने लोक में भी लौट जाते हैं। आइए जानते हैं इस तिथि का महत्व।
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Pitra Amavasya 2024: 2 अक्टूबर दिन बुधवार को आश्विन अमावस्या है। आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आश्विन अमावस्या, पितृ विसर्जनी अमावस्या, महालय अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं।
इस तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृलोक से आए पितर वापस अपने लोक में लौट जाते हैं। इस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध किया जाता है। आश्विन अमावस्या के अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं और अगले नौ दिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है।
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आइए जानते हैं आश्विन अमावस्या का महत्व, शुभ योग और तिथि के बारे में…
Pitra Amavasya 2024: आश्विन अमावस्या के दिन अंतिम श्राद्ध की तिथि होती है। इस दिन ब्राह्मण भोजन और पितरों के नाम से किए गए दान आदि से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
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इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथियां भूल जाते हैं या फिर पूरे पितृपक्ष में उनका श्राद्ध रह गया हो।
Pitra Amavasya 2024: आश्विन अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है इसलिए इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं।
आश्विन अमावस्या का महत्व
Pitra Amavasya 2024: पितृपक्ष में इस अमावस्या तिथि के आने से आश्विन अमावस्या का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदियों में स्नान, दान, श्राद्ध, तर्पण आदि
कार्य करने से पितर परिजनों को आशीर्वाद देते हैं और पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने के बाद शनिदेव की पूजा अर्चना करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है
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और शनि की महादशा के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। इस तिथि के अगले दिन से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं, जिनमें मां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा अर्चना की जाती है।
Pitra Amavasya 2024: आश्विन अमावस्या कब है
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 1 अक्टूबर, रात 9 बजकर 42 मिनट से
अमावस्या तिथि समापन – 2 अक्टूबर, रात 12 बजकर 21 मिनट तक
उदया तिथि को मानते हुए 2 अक्टूबर दिन बुधवार को आश्विन अमावस्या की तिथि मान्य होगी।
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आश्विन अमावस्या पर ऐसे करें पितरों को विदा
Ashwin Amavasya 2024 Date: आश्विन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें और पितरों को तर्पण करें। इस दिन सायंकाल के समय दीपक जलाएं और मेन गेट पर पूड़ी,
सब्जी व अन्य मिष्ठान रखें। ऐसा इसलिए किया जाता है कि पितर भूखे ना जाएं और दीपक रोशनी उनको जाने का रास्ता दिखाए। अगर पूरे पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध नहीं किया है,
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या तिथि याद नहीं है तो इस दिन श्राद्ध व तर्पण कर सकते हैं। साथ ही भूले बिसरे पितरों के नाम का भी श्राद्ध किया जा सकता है।
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