Falgun Sankashti Chaturthi 2025
Falgun Sankashti Chaturthi 2025 Muhurat: संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में गणेश जी की पूजा की जाएगी. फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा मुहूर्त, 2 शुभ योग और चांद निकलने का समय क्या है?
- फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 16 फरवरी 2025 को है.
- इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं.
- चंद्रोदय का समय रात 9:39 बजे है.
फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में गणेश जी की पूजा की जाएगी. संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और गणेश जी की कृपा से सभी कार्य सफल सिद्ध होते हैं. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है. इसके बिना यह व्रत पूरा नहीं होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा मुहूर्त, 2 शुभ योग और चांद निकलने का समय क्या है?
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फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 तारीख
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी को रात 11 बजकर 52 मिनट पर होगा. चतुर्थी तिथि 17 फरवरी को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक मान्य है. उदयातिथि और चतुर्थी के चांद निकलने के समय के आधार पर देखा जाए तो फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी रविवार को रखा जाएगा.
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2 शुभ योग में फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025
इस साल की फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 6 बजकर 59 मिनट से अगले दिन 17 फरवरी को प्रात: 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इसी समय में अमृत सिद्धि योग भी बनेगा.
व्रत के दिन इनके अलावा धृति योग सुबह में 8 बजकर 6 मिनट तक है. उसके बाद से शूल योग बनेगा. हस्त नक्षत्र प्रात: काल से लेकर 17 फरवरी को प्रात: 4 बजकर 31 मिनट तक है. फिर चित्रा नक्षत्र है. फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में होगी.
फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 मुहूर्त
फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 16 मिनट से सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक है. यह समय स्नान और दान के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है. चतुर्थी का शुभ मुहूर्त यानि अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक है. लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह में 09:47 बजे से 11:11 बजे तक है, वहीं अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 11 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.
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फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 2025 चांद निकलने का समय
संकष्टी चतुर्थी में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व है. चतुर्थी व्रत पर रात 9 बजकर 39 मिनट पर चंद्रोदय होगा. चांद निकलने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करते हैं और उसके बाद व्रत को पूरा करते हैं.
गणेश पूजा मंत्र
गणेश जी की पूजा के लिए आप ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र में गणेश जी का बीज मंत्र गं भी शामिल है. इसे मंत्र को पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होती है.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन संकल्प करके व्रत और पूजन करते हैं. गणेश जी की कृपा से कार्यों में आने वाली विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं. व्यक्ति के जीवन के कष्ट और संकट मिटते हैं. शुभता बढ़ती है. पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा अवश्य पढ़ें.
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संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा|
एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया, कारण जो भी रहा हो
अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया।
सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि क्या गणेशजी को न्योता नहीं गया है ? या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा।
तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए|
विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं।
दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
इतनी वार्ता कर ही रहे थे कि किसी एक ने सुझाव दिया- यदि गणेशजी आ भी जाएं तो उनको द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे कि आप घर की याद रखना।
आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। यह सुझाव भी सबको पसंद आ गया, तो विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी।
होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां आ पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया।
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बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा।
अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी।
जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मनाकर लाया जाए तो आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और यह संकट टल सकता है। शंकर भगवान ने अपने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए। गणेशजी का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया, तब कहीं रथ के पहिए निकले।
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अब रथ के पहिए निकल को गए, परंतु वे टूट-फूट गए, तो उन्हें सुधारे कौन?
पास के खेत में खाती काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। खाती अपना कार्य करने के पहले ‘श्री गणेशाय नम:’ कहकर गणेशजी की वंदना मन ही मन करने लगा। देखते ही देखते खाती ने सभी पहियों को ठीक कर दिया।
वह खाती कहने लगा कि हे देवताओं!
आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और न ही उनकी पूजन की होगी इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है। हम तो मूरख अज्ञानी हैं, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं, उनका ध्यान करते हैं।
आप लोग तो देवतागण हैं, फिर भी आप गणेशजी को कैसे भूल गए? अब आप लोग भगवान श्री गणेशजी की जय बोलकर जाएं, तो आपके सब काम बन जाएंगे और कोई संकट भी नहीं आएगा।
ऐसा कहते हुए बारात वहां से चल दी और विष्णु भगवान का लक्ष्मीजी के साथ विवाह संपन्न कराके सभी सकुशल घर लौट आए। हे गणेशजी महाराज! आपने विष्णु को जैसो कारज सारियो, ऐसो कारज सबको सिद्ध करजो। बोलो गजानन भगवान की जय।
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